Lucknow. लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी गहमा—गहमी शुरू हो गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती दिल्ली से लखनऊ लौट आई हैं। सभी पार्टियों की निगाहें अब अखिलेश और मायावती पर टिकी हैं। दोनों ही दिग्गज नेताओं को लेकर विरोधियों की नींद हराम हो गई है। माना जा रहा था कि बसपा सुप्रीमो के अपने जन्मदिन को लेकर राजधानी लौटने के बाद सपा-बसपा गठबंधन का ऐलान हो सकता है। यूपी की दोनों ही बड़ी पार्टियों ने गठबंधन का ऐलान कर दिया है। आज प्रेसवार्ता भी बुलाई गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पत्रकार वार्ता में गठबंधन के महारणनीति को लेकर पूरी की पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती के पश्चिमी यूपी की सीट नगीना से चुनाव लड़ने की खबरें भी तेज हो गई है।
खबर है कि यूपी की चार बार सीएम रह चुकीं बसपा सुप्रीमो मायावती नगीना सुरक्षित सीट से चुनाव लड़कर झंडा बुलंद करेंगी। बताते चलें कि नगीना सीट से बसपा सुप्रीमो के चुनाव लड़ने का कारण ये भी हो सकता है कि बसपा का कोई भी सदस्य सदन में यहां से नहीं है। गौरतलब है कि मायावती बिजनौर से 1989 में सांसद रह चुकी हैं। खबरों की मानें तो पहले ही सपा और बसपा के बीच सीटों पर बंटवारे को लेकर रणनीति तैयार हो चुकी है। हालांकि, कुछ सीटों पर खींचातानी जरूर है। मंडल में 6 सीटों में से तीन पर ही सपा बसपा के बीच ताल मेल दिख रहा है।
मुरादाबाद जोन कोआर्डिनेटर गिरीश चन्द्र को लेकर कयास लगाया जा रहा था कि वह नगीना सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन जमीनी स्तर से ही उनका विरोध काफी तेज हो चुका है। फिलहाल वोटों के समीकरण पर गौर करें तो मायावती यदि चुनाव लड़ती हैं, तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आस-पास की सीटों पर इसका असर न हो। बसपा सुप्रीमो अपने आप में ही राजनीतिक हस्ती हैं। ऐसे में वह जहां से भी चुनाव लड़ेंगी उसके आस पास के सीटों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा।
इस सीट पर करीब 15 लाख से भी अधिक वोटर हैं। इनमें चार लाख मुस्लिम वोटर हैं। गठबंधन के बाद मायावती के लिए ये सीट वरदान साबित हो सकती है। बताते चलें कि नगीना से वर्तमान में बीजेपी के यशवंत सिंह सांसद हैं। वहीं, मुरादाबाद मंडर पर गौर किया जाए तो यहां से भी बसपा का कोई सांसद नहीं है। ऐसे में संभल, रामपुर और मुरादाबाद की सीट सपा के खाते में तो बिजनौर और अमरोहा की सीट बसपा की झोली में जाते नजर आ रही है।