Lucknow. कहते हैं कि जीवन का सबसे बड़ा रहस्य जन्म और मृत्यु है। जब मौत आती है, तो कोई बचा नहीं सकता। लेकिन मौत नहीं लिखी हो तो दुनिया की कोई ताकत मार भी नहीं सकता है। जीवन मरण के चक्र में इंसान कई बार मृत घोषित होकर भी जीवित हो उठाता है। ऐसा होने पर हैरानी होना स्वाभाविक है। कुछ ऐसा ही वाकया राजधानी स्थित एक निजी अस्पताल से सामने आया है। जिसकी सच्चाई जान आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
खबरों के मुताबिक अमीनाबाद में कल्लन की लाट के रहने वाले गुरु प्रसाद के पुत्र संजय (28) की तबीयत काफी खराब चल रही थी। उनको उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। यहां अस्पताल में संजय को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन रोते बिलखते हुए संजय के शव को घर पर लाकर दाह संस्कार की तैयारी करने लगे। अंतिम संस्कार की तैयारी भी पूरी हो चुकी थी और 4 घंटे गुजर गए। इस बीच अचानक ही संजय की आंखे खुल गई। यही नहीं उन्होंने इशारे से पानी भी मांगा। यह वाकया देख मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया।
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परिजनों ने जब देखा कि संजय अभी जीवित हैं, तो आनन फानन में बलरामपुर अस्पताल लेकर पहुंच गए। लेकिन यहां फिर से संजय को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा कि संजय को एक क्लीनिक पर दिखाया गया था तो डॉक्टर ने पीलिया की बीमारी बताई थी। इलाज के बाद भी उनको कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद उनको नक्खास स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में एडमिट करायाग या था। यहां डॉक्टरों ने संजय को मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद परिजन शव को घर लेकर आ गए। यहां घर पर दाह संस्कार की तैयारी चल रही थी कि अचानक ही संजय ने आंखे खोल ली। पानी की तरफ इशारा करते हुए एक कप पानी भी पिया। यह सब देख लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई। परिजन उनको बलरामपुर अस्पताल लेकर गए। यहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया।