Patna. इस साल हुए लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा को रोकने के लिए आरजेडी और कांग्रेस ने अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। महागठबंधन में शामिल दल एक-दूसरे सहयोगी दलों को ही आईना दिखा रहे हैं।
एक तरफ हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने जहां विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर महागठबंधन छोड़ने के संकेत दे दिए हैं। वहीं कांग्रेस ने भी महागठबंधन का अस्तित्व लोकसभा चुनाव तक ही रहने की बात कही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा का कहना है कि महागठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए बना था। जरूरी नहीं कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही चलेगा। विधानसभा चुनाव में आवश्यकता पड़ी तो एक विचारधारा रखने वाली पार्टियां मिलकर एक बार फिर से नया आकार दे सकती हैं।
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उन्होंने कहा कि आज की तारीख में हर पार्टी अपने-अपने स्तर से अपनी-अपनी गतिविधियों को चला रही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन पर फैसला आलाकमान से बात करने के बाद ही लिया जाएगा।
महागठबंधन के एक नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि महागठबंधन में सारी समस्याओं के मूल में आरजेडी और कांग्रेस हैं। लोकसभा चुनाव हारने के बाद से दोनों पार्टियां पस्त नजर आ रही हैं। कांग्रेस की समस्या राष्ट्रीय नेतृत्व को लेकर थी। हालांकि नेता ने संभावना जताई कि अब कांग्रेस को ‘खेवनहार’ के रूप में एक बार फिर सोनिया गांधी मिल गई हैं, तो शायद पटना में भी कुछ हलचल शुरू होगी।
उन्होंने कहा कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद जेल में हैं। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उनके बेटे तेजस्वी यादव दिल्ली में डेरा जमा लिए हैं। ऐसे में कहीं कोई न महागठबंधन की बैठक हो रही है और न संयुक्त रूप से कोई कार्यक्रम तय हो रहे हैं।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर भी मानते हैं कि तेजस्वी यादव को बड़ी जिम्मेदारी मिली है, जिसका निर्वाह सही ढंग से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी दल व्यक्ति से बड़ा होता है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले हम ने 2020 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की है। पार्टी अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि पार्टी को बचाने के लिए ऐसा फैसला लेना पड़ेगा। महागठबंधन में किसी तरह का समन्वय नहीं बचा है।
लोकसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस ने महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में महागठबंधन के सभी घटक दलों को करारी हार का सामना करना पड़ा था। महागठबंधन में कांग्रेस, राजद समेत मांझी की पार्टी हम, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा, शरद यादव और मुकेश सहनी की पार्टी भी शामिल थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह कई मौके पर लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली जबरदस्त हार के लिए सहयोगी दल आरजेडी को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं।
हालांकि आरजेडी इस मसले पर अभी कुछ भी खुलकर नहीं कह रही है। आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि सभी दलों की अपनी अलग नीति होती है। पार्टी अभी सदस्यता अभियान चला रहा है। मांझी के बयान पर उन्होंने कहा कि महागठबंधन एकजुट है, लेकिन जिसे जाना है, वह जाए।